कल फिर उठूंगा किस उम्मीद में ? हां ,उसी नए सवेरे की उम्मीद में, ए जिंदगी मुश्किल है यह सफर, ... कल फिर उठूंगा किस उम्मीद में ? हां ,उसी नए सवेरे की उम्मीद में, ए जिंदगी म...
एक अरसे से ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र रही है, बर्फ की तरह धीरे धीरे पिघल रही है, एक अरसे से ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र रही है, बर्फ की तरह धीरे धीरे पिघल रही है,
बुझ रही है लौ इस जीवन के ऊजाले में, सिमट रहा है इंसान अंतिम सांसों के निवाले में। बुझ रही है लौ इस जीवन के ऊजाले में, सिमट रहा है इंसान अंतिम सांसों के निवाले ...
ज़िंदगी ना जाने क्या समझा रही है ग़ालिबन जीना मुझे सीखा रही है ज़िंदगी ना जाने क्या समझा रही है ग़ालिबन जीना मुझे सीखा रही है
सरसों के खेत से भीनी भीनी महक आ रही है प्रकृति पीत वर्ण मे नवयौवना नज़र आ रही है, सरसों के खेत से भीनी भीनी महक आ रही है प्रकृति पीत वर्ण मे नवयौवना नज़र आ रही...
रात दिन दिल को सताये अब यही मंजिलें आज़म मिली बेहतर नहीं। रात दिन दिल को सताये अब यही मंजिलें आज़म मिली बेहतर नहीं।